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कमा
सक्रि नम्बर
सक्ति सापक
द्वि
217
42
द्विविध-मरण
218
219
220
221
68
222
174
धर्मोपदेष्टा कौन ? धर्म धर्म कहाँ ? धर्मवेत्ता साधक धर्मी, सुखी धर्म-धुरा धर्म का मूल : व्यवहारशुद्धि धर्मसंगत व्यवहार धर्म, दीपक
223
193
224
428
225
496
226
581
227
104
धैर्य से मृत्यु
228
97
229
75
230
180
231
292
232
316
न सुख, न दुःख नश्वर काम नर्क वेदना की विभीषिका नकली ब्रह्मचारी न भूतो न भविष्यति न घर का न घाट का न कोई हीन, न कोई महान् न हर्षित, न कुपित न देय, न आदेय
233
326.
234
331
235
333.
236
565
237
___181
नारकीय वेदना अनन्त ना काहू से वैर
238
239
39
39
निरभिमानी मुनि
___ अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 . 250