________________
592. ज्ञानी-शरण आरियं उवसंपज्जे।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1406]
- सूत्रकृतांग 1/803 ज्ञानी की शरण में जाओ। 593. प्रशिक्षण सिक्खं सिक्खेज्ज पंडिए ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1406] __ - सूत्रकृतांग 1/8ns पंडित पुरुष पण्डितमरण की शिक्षा का प्रशिक्षण लें । 594. अनासक्ति - मेहावी, अप्पणो गिद्धिमुद्धरे ।
__ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1406] . - सूत्रकृतांग 1/813
बुद्धिमान् साधक चारों ओर से अपनी आसक्ति हटा दे । 595. संलेखना-प्रशिक्षण
जं किंचुवक्कमंजाणे, आउक्खेमस्स अप्पणो । तस्सेव अन्तरा खिप्पं, सिक्खं सिक्खेज्ज पंडिए ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1406]
- सूत्रकृतांग 1/845 यदि पंडित पुरुष किसी प्रकार अपनी आयु का क्षयकाल जान लें तो उससे पूर्व शीघ्र ही वह संलेखना रूप शिक्षा का प्रशिक्षण लें । 596. रहो, कच्छपवत्
जहा कुम्मे स अंगाई, सए देहे समाहरे। एवं पावाइं मेधावी, अज्झप्पेण समाहरे ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1406]
- सूत्रकृतांग 1/846 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 . 205