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________________ मुझे दूसरे वध और बंधन आदि से दमन करें, इससे तो अच्छा है कि मैं स्वयं ही संयम और तप के द्वारा अपनी इच्छाओं का दमन कर 478. आत्म-नियन्त्रण अप्पामेव दमेयव्वो । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1162] - उत्तराध्ययन 145 अपने आप पर नियन्त्रण रखना चाहिए । 479. आत्म-नियन्त्रण दुष्कर अप्पा हु खलु दुद्दमो। - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1162] - उत्तराध्ययन 145 आत्मा बहुत दुर्दभ है, अर्थात् उसपर नियन्त्रण रखना बड़ा ही कठिन है। 480. सुखी कौन ? अप्या दंतो सुही होइ। - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1162] - उत्तराध्धयन 145 अपने आप पर नियन्त्रण रखनेवाला सुखी होता है। 481. मौन अनुचित कब ? आयरिएहिं वाहिं तो, तुसिणीओ ण कयाइ वि । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 1163] - उत्तराध्ययन 120 आचार्यों के द्वारा बुलाए जाने पर शिष्य किसी भी अवस्था में मौन न रहे। ( अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 175 )
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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