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________________ उपदेश प्रासाद 1 स्वजन के मरने पर भी सूतक होता है, तो फिर सूर्य के अस्त होने पर ( मर जाने पर) भोजन कैसे किया जाए ? 303. रात्रि - भोजन त्याज्य संति मे सुहमा पाणा, तसा अदुवा थावरा । जाई राओ अपासंतो, कहमेसणिअं चरे ? श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 510] दशवैकालिक 6/23 संसार में बहुत से त्रस और स्थावर प्राणी अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं, वे रात्रि में दृष्टिगत नहीं होते तो फिर रात्रि में भोजन कैसे किया जा सकता है ? - - 304. रात्रि - भोजन-फल उलूक- काक- मार्जार-गृध - शम्बर शूकराः । अहि- वृश्चिक - गोधाश्च जायन्ते रात्रिभोजनात् ॥ श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 510] योगशास्त्र - 3/67 रात्रि भोजन करने से मनुष्य मरकर उल्लू, काक, बिल्ली, गीध, सम्बर, शूकर, सर्प, बिच्छू और गोह आदि अधम गिने जाने वाले तिर्यंचों के रूप में उत्पन्न होते हैं । sande - 305. वैज्ञानिक दृष्टि से वर्जित हन्नाभिपद्म संकोचश्चण्डरोचिरपायतः । अतो नक्तं न भोक्तव्यं सूक्ष्मजीवादनादपि ॥ श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 510] योगशास्त्र 3/60 सूर्यास्त हो जाने पर शरीर स्थित हृदय - कमल एवं नाभि-कमल सिकुड़ जाते हैं और उस भोजन के साथ सूक्ष्म जीव भी खाने में आ जाते हैं। इसलिए भी रात्रि भोजन नहीं करना चाहिए । - - अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6• 131
SR No.002321
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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