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________________ 1. धर्मशास्त्र का सार कपिलः प्राणिनां दया । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 2] . एवं [भाग 7 पृ. 70] - तीत्थोगाली 22 कल्प प्राणियों पर दया (करुणा भाव) रखो । आयुर्वेद शास्त्र का सार जीर्णे भोजनमात्रेयः । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 2] एवं [भाग 7 पृ. 70] - तीत्थोगाली 22 कल्प पहले खाए हुए का पाचन होने के बाद ही खाओ अर्थात् पूर्व का अन्न हजम न हो तबतक नहीं खाना चाहिए। 3. कामशास्त्र का सार पाञ्चाल: स्त्रीषु मार्दवम् । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 2] एवं [भाग 7 पृ. 70] - तीत्थोगाली 22 कल्प स्त्रियों पर कठोर मत बनो, कोमल रहो । नीतिशास्त्र का सार बृहस्पतिरविश्वासः । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 2] एवं [भाग 7 पृ. 70] - तीत्थोगाली 22 कल्प कहीं पर भी विश्वास मत रखो। 5. आहारोद्देश्य वेयणवेयावच्चे, इरियट्ठाए य संजमट्ठाए । तह पाण वत्तियाए, छटुं पुण धम्मचिंताए । _अभिधान राजे अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 . 57
SR No.002320
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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