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क्रमाङ्क
426
427
428
429
430
431
432
433
434
435
436
437
438
439
440
441
442
443
444
445
446
447
सूक्ति नम्बर
285
282
283
67
69
71
116
367
464
325
369
36
303
7
109
178
429
117
238
239
254
स्ि
287
स्त्री
श
शि
शी
शु
श्र
श्रु
श्रृं
सूक्ति शीर्षक
स्निग्धाहार वर्जित
स्त्री- कथा - वर्जन स्त्री-सौन्दर्य - विरक्त
शब्द - परिग्रह में अतृप्ति शब्द- वीतराग
शब्दासक्त-अकाल मृत्यु शरदसलिलसम मुनिहृदय शरीरं व्याधि मंदिरम् शरीर, क्षणभङ्गुर
शिक्षा - शत्रु
शीघ्र मोक्ष
शुद्ध मितभुक् शुभफल पूर्वकृत
श्रमण-रात्रिचर्या श्रमण कौन ?
श्रमणत्व - सार
श्रमण वही
श्रुतिदमन
श्रेयस्कर आचरण श्रेयस्कर ग्राह्य
श्रेष्ठदान
श्रृंगार - वर्जन
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड-5 • 221