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- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1260]
- प्रश्नव्याकरण 2927 . जैसे मणियों में वैडूर्य मणि श्रेष्ठ है, भूषणों में मुकुट प्रवर है, वस्त्रों में क्षोभ-युगल (बहुमूल्य रेश्मी वस्त्र) मुख्य है, पुष्पों में अरविंद पुष्प उत्कृष्ट है, चंदनों में गोशीर्ष चंदन प्रकृष्ट है, औषिधयुक्त पर्वतों में हिमवान् श्रेष्ठ है, नदियों में सीतोदा बड़ी है, समुद्र में स्वयम्भूरमण बृहत्तम है तथा हाथियों में ऐरावत, स्वर्गों में ब्रह्मस्वर्ग (पंचम स्वर्ग), दानों में अभयदान, मुनियों में तीर्थंकर और वनों मे नन्दनवन उत्कृष्ट है; वैसे ही व्रतों में ब्रह्मचर्य सर्वश्रेष्ठ
है।
259. ब्रह्मचर्य, भगवान् तं बंभं भगवंतं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1260]
- प्रश्नव्याकरण 2427 यह ब्रह्मचर्य ही भगवान् है। 260. सारभूत ब्रह्मचर्य सव्वपवित्त सुनिम्मियसारं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1261)
- प्रश्नव्याकरण 29/27 यह ब्रह्मचर्य जगत् के सभी पवित्र अनुष्ठानों को सारयुक्त बनानेवाला
261. ब्रह्मचर्य, महातीर्थ
सव्वसमुद्दमहोदधि तित्थं । ___ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1261]
- प्रश्नव्याकरण 29/27 - यह ब्रह्मचर्य समस्त समुद्रो में स्वयंभूरमण समुद्र के समान दुस्तर है, किंतु तैरने का उपाय होने के कारण यह तीर्थ स्वरूप है।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 128