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120
सूक्ति नम्बर
231
171
138
160
260
158
85
213
256
110
183
205
106
261
92
52
272
93
266
279
18
30
43
180
191
211
214
241
247
253
सूक्ति शोधकर
चलो, हँसतें नहीं चातुर्मासिकप्रायश्चित
जन्म-मरण चक्र
जयति शासनम्
जलयान और हवा
जितने नय, उतने मत
जिनशासन - मूल
जिन भास्करोदय
जिन एवं अरिहंत
जीव कर्मबंध कर्ता - भोक्ता
जीव का लक्षण
जीवात्मा आधार
तत्त्वदर्शी
तप-संयम
तित्राणं तारयाणं
तृष्णा: दूष्पूर्णा त्यागी कौन नहीं ?
थोथा ज्ञान निरर्थक
दर्शन बिन ज्ञान नहीं
दर्शनातुर देव
दुःख निरोध
दुःख रूप संसार दुर्गति-रक्षण - जिज्ञासा दुर्जन- दुष्टता
दूरातिदूर शिष्य
दुरारोह ध्रुवस्थान
दुह मोक्ष-वास
दुर्लभ अंग
दुर्लभ श्रद्धा दुर्लभ क्या ?
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 • 148