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माता का
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कर्म-बीज दग्ध कलह से दूर कषाय चतुष्क कषायाग्नि कहाँ अन्ध कहाँ दर्शक ! कर्मानुसार फल कामभोगासक्त मानव काम दुस्त्याज्य कामासक्त काया-नियन्त्रण कायोत्सर्ग से विशुद्धि कार्य-सिद्धि काल दुरतिक्रम कृत कर्म कृत-कर्म-भोग . क्रिया की अपेक्षा क्रिया की उपादेयता क्रिया-योग क्रिया ही फलदायिनी क्रोध का फल कोध-विजय क्रोधजित् क्ले श से दूर गीतार्थः वचन अमृत रसायण गुण-नाशक गुरू -भक्ति-स्वरूप गुर्वाज्ञा-भङ्ग गुरु-साक्षी गुरु-वचन है औषधि घट-छिद्र
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 • 147