SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 448 तुर्यावस्था में क्या करेगा ? प्रथमे वयसि नाधीतं, द्वितीये नार्जितं धनम् । तृतीये न तपस्तपं, चतुर्थे किं करिष्यति ॥ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 17 ] - - आचारांगसूत्रसटीक - IAn/s जिसने प्रथम अवस्था में अध्ययन नहीं किया। दूसरी अवस्था में धनोपार्जन नहीं किया। तृतीय उम्र में तपाचरण नहीं किया तो फिर चौथी अवस्था में वह क्या करेगा ? 49 जराभिशाप से ण हासाए ण किड्डाएण रतीए ण विभूसाए । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 177 ] - आचारांग - 12/ वृद्धावस्था में मनुष्य न हँसी विनोद के योग्य रहता है, न खेलने के, न रति-सेवन के और न शृंगार के योग्य ही रहता है। 50 धर्म जं जं करेइ तं तं न सोहए जोव्वणे अतिक्कंते । पुरिसस्स महिलियाए, एक्कं धम्मं पमुत्तूणं ॥ - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 178 ] - आचारांग सूत्र सटीक - 12/ एकमात्र धर्म को छोड़कर पुरुष और महिलाओं के लिए जवानी बीत जाने पर जो जो किया जाता है, वह सुशोभित नहीं होता। 51 पानी केरा बुल बुला वओ अच्चेति जोव्वणं च । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 178 ] - आचारांग - 12/s आयु बीत रही है, यौवन चला जा रहा है। अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 69
SR No.002317
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages198
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy