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सूत्रकृतांग 1/10/23
साधक भलीभाँति शुद्ध होता हुआ समय व्यतीत करे और दूषित
नहीं होवे ।
138 संयम पराक्रम
धितिमं विमुक्केण य पूयणट्ठी । न सिलोयगामी य परिव्वज्जा ॥
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सूत्रकृतांग 1/10/23
धैर्यशाली पुरुष विकारों से मुक्त होता हुआ अपने लिए पूजा और यशकीर्ति की इच्छा नहीं करे तथा संयमशील होता हुआ विचरे । 139 अनशन - लाभ
आहार पच्चक्खाणेणं जीविया संसप्पओगं वोच्छिद । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 2 पृ. 554]
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उत्तराध्ययन 29/35
अनशन से जीव जीवन की लालसा से छूट जाता है ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 2 पृ. 550]
140 अहितकारिणी निन्दा
असेकरी अन्नेसिं इंखिणी ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 2 पृ. 559] सूत्रकृतांग 122A
दूसरों की निन्दा अश्रेयस्कारिणी है अर्थात् हितकारिणी नहीं है ।
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141 अनुपम सर्वोत्तम सूर्यप्रकाश
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तावद् गर्जति खद्योतस्तावद् गर्जति चन्द्रमाः । उदिते तु सहस्त्रांशौ न, खद्योतो न चन्द्रमाः ॥ श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 2 पृ. 572] कल्पसुबोधिका सटीक 2
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जुगनू तब तक चमकता है, चन्द्रमा तब तक प्रकाशमान रहता है, जब तक सूर्य उदित न हो, मगर सूर्योदय होनेपर न तो जूगनूं का और न चन्द्रमा का प्रकाश रहता है ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2092