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________________ नम्बर सूक्ति - अभिधान राजेन्द्र कोष सूक्ति भाग पृष्ठ । 186. क्लिश्यन्ते केवलं स्थूलाः, सुधीस्तु फलमश्नुते । दन्ता दलन्ति कष्टेन, जिह्वया गिलति लीलया॥ 1 762 43. खंती य मद्दवऽज्जव, मुत्ती तव संजमे य बोधव्वे । सच्चं सोयं आकिंचणं च, बंभं च जइ धम्मो ॥ 1 279 158. गिलाणस्स अगिलाते वेयावच्चंकरणताए अब्भुट्टेयव्वं भवइ। 1 598 86. गुण सुट्ठियरस वयणं, घयपरिसित्तुव्व पावओ भाइ। गुण हीणस्स न सोहइ, नेह विहूणो जह पईवो ॥ 1 353 97. घटमौलि सुवर्णार्थी नाशोत्पाद स्थितिष्वयम् । शोकप्रमोद माध्यस्थं जनोयाति सहेतुकम् ।। पयोव्रतो न दध्यति न पयोऽति दधिव्रतः। अगोरस व्रतो नोभे तस्माद् वस्तु त्रयात्मकम् ॥ 1 425 264 39. चत्वारो नरक द्वाराः, प्रथमं रात्रि भोजनम्। परस्त्री सङ्गमश्चैव, सन्धानानन्त कायिके ॥ 1 89. चरण पडिवत्ति हेडं, धम्मकहा। 203. चत्तारि अवातणिज्जा पन्नता, तंजहा अविणीवीई पडिबद्धे, अविओ सवित पाहुडे मायी। 356 1804 804 17 3. जहा जाएणं अवस्सं मरियव्वं ।। 56. जहा महातलागस्स, सन्निरूद्धे जलागमे। उस्सिचणाए तवणाए, कमेणं सोसणा भवे ।। एवं तु संजयस्सा वि पावकम्म निरासवे। भवकोड़ि संचियं कम्मं तवसा निज्जरिज्जइ ॥ 1 321 42199-2200 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/132
SR No.002316
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages202
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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