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________________ यह अहिंसा भगवती देवों, मनुष्यों और असुरों सहित समूचे विश्व के लिए द्वीप/दीपक है, शरणदात्री है, गति है तथा समस्त गुणों और सुखों का आधार है। 227. शरणदात्री कौन ? एसा भगवती अहिंसा.............भीयाणं विव सरणं । - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 873] - प्रश्न व्याकरण 2/6/22 यह भगवती अहिंसा भयभीतों का शरण है। 228. शुद्धि के पञ्चहेतु सत्यं शौचं तपः शौचं, शौचमिन्द्रियसंग्रहः सर्वभूत दया शौचं, जलशौचं च पञ्चमम् - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 1 पृ. 873] एवं [भाग 7 पृ. 1004 एवं 1165] - प्रश्न व्याकरण सूत्र सटीक 1 संवर द्वार - चाणक्य राजनीति शास्त्र 3/42 एवं स्कन्द पुराण, काशीखंड - 6 शौच (शुद्धि) के पाँच कारण हैं - सत्यशुद्धि, तपशुद्धि, इन्द्रिय - निग्रहशुद्धि, सब जीवों की दया और जलशुद्धि । प्रथम चार आत्म-शुद्धि के कारण हैं और पाँचवां जल शरीर-शुद्धि की अपेक्षा से है। 229. भगवती अहिंसा एसा सा भगवइ अहिंसा जा सा भीयाणं विव सरणं, पक्खीणं पिव गमणं, तिसियाणं पिव सलिलं, खुहियाणं पिव असणं, समुद्दमज्झे व पोत वहणं चउप्पयाणं व आसपयं दुहट्टिहियाणं च ओसहिबलं अडवि मज्झे वि सत्थ गमणं एत्तो विसिट्टतरिका अहिंसा । अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/116
SR No.002316
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages202
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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