________________
६० तीर्थरक्षक सेठ शान्तिदास
के उद्योग समूह ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है । जिसका प्रारम्भ सेठ लालभाई ने किया था, उसका ऐतिहासिक मूल्य है ।
C
सेठ लालभाई के परिवार का जैनधर्म और समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है और है । जैन समाज पर साधुओं का अत्यधिक प्रभाव रहा है। जैन साधु कल-कारखाने को महाआरम्भ - बड़े पाप का काम समझते थे इसलिए मिल खड़ी करने में सेठ लालभाई को कठिनाई नहीं आई हो ऐसी बात नहीं, पर उन्होंने मिल खड़ी करने का साहस किया और गुजरात के जैनियों को इस उद्योग को अपनाने की प्रेरणा दी, जबकि मारवाड़ के कई प्रसिद्ध धनी जैनी परिवार विलायती कपड़ा मँगाकर बेचने का काम करते थे । वे चाहते तो मिलें खोल सकते थे पर उनके गुरुओं ने इस कार्य को महाआरम्भ का काम बता कर उद्योगों की अपेक्षा व्यवसाय करने को ही प्रेरणा दी । फलस्वरूप गुजरात के जैन उद्योग के क्षेत्र में मारवाड़ के जैनियों से बहुत आगे है ।
आनन्दजी कल्याणजी पेढी के विधान के अनुसार ट्रस्ट का अध्यक्ष नगर सेठ के परिवार का होना चाहिए था । मयाभाई नगर सेठ की मृत्यु के बाद उनके पुत्र छोटी उम्र के थे अतः सेठ लालभाई आनन्दजी कल्याणजी की पेढी के अध्यक्ष हुए । पेढी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद जूते पहनकर शत्रुंजय पहाड़ पर जाने से होने वाली अशातना को रोकी । भाईणी तीर्थं उन्हीं के समय में अस्तित्व में आया और राणकपुर तथा गिरनार की व्यवस्था आनन्द जी कल्याणजी पेढी को सौंपी गई ।
i
उनकी तीर्थों सम्बन्धी भक्ति सराहनीय थी । जब १९०८ में सम्मेदशिखर पहाड़ पर सरकार ने निजी बंगले बनाने की इजाजत दी तो पूरे जैनसंघ में क्षोभ उत्पन्न हुआ । ऐसे समय लालभाई सेठ चुप न रह सके । समाज के प्रमुख नेताओं के साथ रहकर बंगले