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________________ सेठ लालभाई ५६ से अहमदाबाद बैलगाड़ियों से लाये गए। उन दिनों बम्बई से अहमदाबाद रेलमार्ग से जुड़ा हुआ नहीं था। पहली मशीनरी तो रास्ते में जलगई थी। यह मशीनरी दूसरी बार आर्डर देकर खम्बात बन्दर में उतारी गई । अहमदाबाद में मशीनरी आकर १८६१ में मई मास में मिल चालू हुई । क्योंकि खम्बात से बैलगाड़ियों में मशीनरी अहमदाबाद पहुंचने में चार महीने लगे। लेकिन पहले वर्ष की कम्पनी ने ६ प्रतिशत डिविडंड दिया । यह बहुत छोटी मिल थी जिसमें २५०० तकुए थे और सिर्फ ६३ लोग काम करते थे। ई० सं० १८६५ में बेचरदास अंबादास ने बेचरदास मिल शुरू की १८७७ में माधुभाई मिल जो आगे चल कर अहमदाबाद स्पीनिंग एण्ड मेन्युफैक्चरिंग मिल श्री रणछोड़लाल ने शुरू की बाद में १८७८ में 'दि गुजरात स्पिनिंग विनिंग मिल' स्थापित हुई। प्रारम्भ की चार मिलों में से सिर्फ बेचरदास मिल ही अब तक चल रही है, शेष बन्द हो गईं। प्रारम्भ में मिलें मोटा सूत निर्माण कर बाजार में बेचतीं। जब कपड़ा बनाना शुरू किया तो मोटा कपड़ा और साड़ी धोतियाँ भी २० काउंट से नीचे सूत की रहती। कुछ सूत चीन में जाता। ई० १६०० तक अहमदाबाद में कपड़ा उद्योग की स्थिति सुदृढ़ बन गई थी ऐसा कहा जा सकता है तब तक २७ मिलें यहाँ हो गई थी और १५६४३ मजदूर काम करते थे। ___ लालभाई सेठ ने १८९६ ने ही सरसपुर मिल शुरू कर इस उद्योग में प्रवेश किया था और १९०३ में रायपुर मिल की स्थापना की। पिछले सात वर्षों में उन्होंने इस उद्योग में जो सफलता पाई उससे रायपुर मिल के शेयर्स २५० ढाई सौ रुपया प्रिमियम से बिके । __ जैसे इंग्लैंड में मेनचेस्टर ने कपड़ा उद्योग में महत्त्वपूर्ण स्थान पाया था वैसे ही भारत में अहमदाबाद के कपड़ा उद्योग में कस्तूरभाई
SR No.002308
Book TitleTirthrakshak Sheth Shantidas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Ranka
PublisherRanka Charitable Trust
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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