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________________ 5 सेठ हेमाभाई सेठ बखतचन्द के बाद उनके पुत्र हेमाभाई नगरसेठ हुए। वे अंग्रेजी तो नहीं सीख पाये, किन्तु फारसी सीखे थे। व्यवहार कुशल थे, संस्कार-सम्पन्न थे। वे सहनशील, उदार तथा धार्मिक वृत्ति के व्यक्ति थे। सेठ का परिवार बहुत विशाल था, उन्होंने सभी को कामों की जिम्मेवारी बांट दी थी और प्रत्येक के खर्च की समुचित व्यवस्था कर दी थी। परिवार के अतिरिक्त वे सामाजिक स्थानों और तीर्थों की व्यवस्था करते, पांजरापोल आदि की देखरेख भी रखते। सारा परिवार उनके अनुशासन में सुचारू रूप से चलता था। समाज में भी उनका प्रभाव था। जवाहरात का व्यापार गौण होकर सराफी और लेन-देन का काम ही प्रधान हो गया था। राजाओं तथा जागीरदारों के गांव आदि रेहन रखकर उन्हें कर्ज देते। हेमाभाई के समय अंग्रेजों का शासन हो गया था। सरकार की इजाजत के बिना कोई गांव बेच नहीं सकता था, पर उसकी आमदनी गिरवी रखी जा सकती थी। पूरे भारत में उनकी शाखाएँ थीं और आढ़तिये नियुक्त थे । बैंक सिर्फ बम्बई और कलकत्ते में ही थीं। इसलिए लेन-देन और हुण्डियां इन्हीं की चलती थीं। इनकी पेढ़ियों (शाखाओं) द्वारा भारत के साहूकारों
SR No.002308
Book TitleTirthrakshak Sheth Shantidas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Ranka
PublisherRanka Charitable Trust
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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