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________________ ५० तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास खुशालचन्द सेठ ने तन-मन-धन से शहर की रक्षा की। इस बात से प्रभावित होकर अहमदाबाद के हिन्दू और मुस्लिम व्यापारी एकत्र हुए और खुशालचन्द सेठ के इस उपकार के बदले के रूप में होने वाले व्यापार तथा निर्माण होने वाले मशरू आदि माल पर सैकड़ा चार आना वंश परम्परागत कर देने का निर्णय किया। यह जो करारनामा किया, उस पर वजीर कमरुद्दीन ने तसदीक करके रुक्का सेठ परिवार को दिया। आगे चलकर अंग्रेजों ने इस रकम को साल में २१३३ रुपये देना प्रीवी कौंसिल के ३१-५-१८६१ के प्रस्ताव के अनुसार तय किया। अंग्रेजों के राज्य में वह रकम सेठ परिवार को मिलती थी। अन्तर विग्रह के कारण मुगलसत्ता कमजोर बनी और मराठों का चौथ वसूली के नाम पर गुजरात में प्रवेश हुआ। पेशवाओं ने गुजरात प्रदेश के कार्य को पिलाजी गायकवाड को सोंपा। उनके पुत्र दामाजी गायकवाड ने अपने शौर्य और चातुर्य से गुजरात में सत्ता स्थापित की और मुगल सत्ता घटती गई। ___ नगरसेठ खुशालचन्द बड़े समयज्ञ और चतुर थे। उन्होंने मराठों के साथ भी आर्थिक सम्बन्ध स्थापित किये और मैत्री की, जिससे उनके हितों की रक्षा हो सके । इस अन्धाधुन्धी और लूटपाट के समय में व्यापार करना बहुत जोखिम भरा हो गया था और घट भी गया था। नगरसेठ का लेन-देन का काम बहुत व्यापक था और बड़े पैमाने पर चलता था। राजतंत्र बदलने पर काफी रुपया डूब भी जाता था। कई बार तो पूरी की पूरी रकम ही डूब जाती, पर सेठ परिवार वाले नई सत्ता का साथ लेकर पहली रकमें भी कई बार वसूल कर लेते थे।
SR No.002308
Book TitleTirthrakshak Sheth Shantidas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Ranka
PublisherRanka Charitable Trust
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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