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________________ ३२ तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास हमारा खानदान ही नहीं लेकिन जैन कोम उसके लिए आपकी अहसानमन्द रहेगी। आपने हमारी रकमें जो वसूल नहीं हो रही हैं उनके वसूल कराने में जो दिलचस्पी बताई उसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार हूँ। हमारा लेन-देन व्यापारियों के साथ तो होता ही है लेकिन शेहंशाहत की तरफ भी हमारा कुछ लेना है। मुरादबख्श ने हमसे साढ़े पांच लाख रुपये कर्ज लिया था। ___ अपने दुश्मन मुराद बख्श का नाम सुनते ही औरंगजेब के तेवर बदले । वह क्र द्ध होकर बोला-मुरादबख्श ने लिये कर्ज के साथ बादशाहत का क्या सम्बन्ध है ? शान्तिलाल सेठ ने कहा- हुजूर, वे जब गुजरात के सुबा थे। उस वक्त यह रकम हमने उन्हें कर्ज दी थी। जो दस्तावेज बने उस पर शाही सिक्का लगा हुआ है। हमने कर्ज मुरादवख्श को नहीं पर बादशाहत को दिया था। मेरी दरखाश्त है कि आप हमारी हालत पर गौर करें। आपके दिल में हमारे खानदान के लिए रहम है इसलिए मैं अहसानमन्द हूँ। लेकिन हमारी इज्जत आपके हाथ में है। __ औरंगजेब ने कहा-आप अपनी दरखास्त पेश करें। हम उस पर गौर करेंगे। सेठ शान्तिदास ने झुककर कुनिसात की और वे वापिस लौटे। उसकी यात्रा सफल रही। औरंगजेब ने १० अगस्त १६५८ में निम्नलिखित फरमान अहमदाबाद के सूबेदार के लिए भेजा "शाह मुहम्मद औरंगजेब गाजी का हुक्म है कि हमारी मेहरबानी की चाह रखने वाले रहिमत खान को फर्माइश है कि अमीरों में जिनका दर्जा ऊँचा है ऐसे शान्तिदास जौहरी को बादशाह
SR No.002308
Book TitleTirthrakshak Sheth Shantidas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Ranka
PublisherRanka Charitable Trust
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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