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स्व० ऋषभदासजी रांका की अप्रकाशित कृति 'तीर्थरक्षक सेठ शांतिदास' राँका चेरिटेबिल ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित करते हुए हम उनके प्रति यह एक विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। स्व० राँकाजी का व्यक्तित्व बहुमुखी था। उन्होंने राष्ट्र, समाज एवं साहित्य आदि अनेक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण सेवाएँ दी हैं । . भारतीय जन-जीवन, समाज एवं शासन-व्यवस्थाओं में जैनों के महत्त्वपूर्ण योगदान का उल्लेख इतिहासकारों ने यथोचित नहीं किया है । इसके अनेक कारण हो सकते हैं । जैनों का अतीत से वर्तमान तक सामाजिक, धार्मिक, शासन-व्यवस्था आदि विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । वस्तुतः हिंदू राजाओं एवं मुगलबादशाहों के दरबार में भी जैन आचार्यों, श्रावकों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । अहिंसा और करुणा के संदेश से प्रभावित होकर समय-समय पर राजाओं-बादशाहों ने जो फरमान निकाले उनसे इतिहास के विद्यार्थी परिचित हैं।
लेखक स्व० रांकाजी ने सेठ शांतिदास जौहरी की जीवन-गाथा के माध्यम से इतिहास के अछूते प्रसंगों को उजागर करते हुए उस युग में जैनों के प्रभाव की एक झलक प्रस्तुत की है। पुस्तक के संबंध में विस्तृत चर्चा करनी अपेक्षित नही हैं क्योंकि वह पाठकों के हाथों में है। इस पुस्तक के प्रकाशन का पूरा व्यय श्री कस्तूरभाई लालभाई चेरिटी ट्रस्ट, से प्राप्त हुआ है। हम कस्तूरभाई लालभाई चेरिटी ट्रस्ट के इस सहयोग के लिए आभारी हैं।
चंदनमल 'चाँद'
मंत्री