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________________ जिणवर जिनेन्द्र देव जीव जीव जूगा जोग झाण णर णाण णारय णिकाय णिज्जरणा णिज्जरा निर्जरा णिमित्त णिरोध णिकाय इय तव तिरिय (66) जूँ योग ध्यान मनुष्य सम्यग्ज्ञान चैतन्य ज्ञान ज्ञान / आत्मा नारकी समूह निर्जरा कारण निरोध श्रेणी नारकी तप तिर्यंच अकारान्त पु. अकारान्त पु., नपुं. 130 अकारान्त पु. अकारान्त नपुं. 108,109,110, 112, 113,114,115, 117, 120,121, 122, 123, 124,127, 128, 130, 132,133, 134, 135, 138 115 आकारान्त स्त्री. अकारान्त पु. अकारान्त पु., नपुं. 152 117 106, 107 121, 123 140, 152 145 अकारान्त पु. 117 अकारान्त पु. 112, 120 आकारान्त स्त्री. 144 आकारान्त स्त्री. 108, 152 अकारान्त नपुं. 148 अकारान्त पु. 150 अकारान्त पु. 118 अकारान्त पु. 118 अकारान्त पु., नपुं. 144 अकारान्त पु. 117, 118 पंचास्तिकाय ( खण्ड - 2) नवपदार्थ - अधिकार 143,144,146,148
SR No.002307
Book TitlePanchastikay Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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