________________
133. जम्हा कम्मस्स फलं विसयं फासेहिं भुंजदे णियदं।
जीवेण सुहं दुक्खं तम्हा कम्माणि मुत्ताणि॥
जम्हा
कम्मस्स
फलं विसयं फासेहिं
अव्यय (कम्म) 6/1 (फल) 1/1 (विसय) 1/1 (फास) 3/2
चूँकि कर्म का फल इन्द्रिय-विषय स्पर्शन आदि इन्द्रियों
भुंजदे
णियदं जीवेण
भोगा जाता है सदैव जीव द्वारा
सुख
(भुंजदे) व कर्म 3/1 अनि अव्यय (जीव) 3/1 (सुह) 1/1 वि (दुक्ख) 1/1 वि अव्यय (कम्म) 1/2 (मुत्त) 1/2 वि
दुक्खं
इस कारण
तम्हा कम्माणि
मुत्ताणि
अन्वय- जम्हा कम्मस्स सुहं दुक्खं फलं विसयं णियदं फासेहिं जीवेण भुंजदे तम्हा कम्माणि मुत्ताणि।
____ अर्थ- चूँकि कर्म का सुखदुखरूप फल इन्द्रिय-विषय है (वह) सदैव स्पर्शन आदि इन्द्रियों से जीव द्वारा भोगा जाता है। इस कारण (द्रव्य) कर्म मूर्त
(36)
पंचास्तिकाय (खण्ड-2) नवपदार्थ-अधिकार