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118. देवा चउण्णिकाया मणुया पुण कम्मभोगभूमीया ।
तिरिया बहुप्पयारा णेरड्या
पुढविभेयगदा
देवा
चणिकाया
मणुया
पुण
कम्मभोगभूमीया
तिरिया
बहुप्यारा
णेरइया
पुढविभेयगदा
(देव) 1/2
देव
[ ( उ ) - (ण्णिकाय) 1 / 2 वि] चार श्रेणीवाले
( मणुय) 1/2
मनुष्य
अव्यय
और
[(कम्म) - (भोगभूमि)
कर्मभूमि और भोगभूमि
(य) 1/2 वि]
में उत्पन्न
( तिरिय) 1/2
तिर्यंच
[ ( बहु) वि - ( प्यार) 1 / 2] अनेक प्रकार
नारकी
(णेरइय) 1/2 [(पुढवि)-(भेय)
( गद) भूक 1/2 अनि ]
अन्वय- देवा चउण्णिकाया पुण मणुया कम्मभोगभूमीया तिरिया
पृथ्वी के समान भेदों
को प्राप्त हुए
बहुप्पयारा णेरड्या पुढविभेयगदा ।
अर्थ- देव चार श्रेणीवाले (होते हैं) और मनुष्य कर्मभूमि और भोगभूमि में उत्पन्न (होते हैं)। तिर्यंच अनेक प्रकार के (होते हैं)। नारकी (जीव) पृथ्वी के समान भेदों को प्राप्त हुए (हैं)।
1. समास के अन्त में 'में उत्पन्न' अर्थ होता है।
पंचास्तिकाय (खण्ड-2) नवपदार्थ - अधिकार
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