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60. भावो कम्मणिमित्तो कम्मं पुण भावकारणं हवदि।
ण दु तेसिं खलु कत्ता ण विणा भूदा दु कत्तारं।।
भावो कम्मणिमित्तो कम्म पुण भावकारणं
भाव कर्म के कारण कर्म
और भाव के कारण. होता है नहीं
हवदि
किन्तु
SEBE
(भाव) 1/1 [(कम्म)-(णिमित्त) 1/1] (कम्म) 1/1 अव्यय [(भाव)-(कारण) 1/1] (हव) व 3/1 अक अव्यय अव्यय (त) 6/2+7/2 सवि अव्यय (कत्तु) 1/1 वि अव्यय अव्यय (भूद) भूकृ 1/2 अनि अव्यय (कत्तार) 2/1 वि
उनमें निश्चय ही कर्ता
नहीं
ण विणा
बिना
किन्तु
कत्तारं
कर्ता
अन्वय- भावो कम्मणिमित्तो पुण कम्मं भावकारणं हवदि दु तेसिं खलु कत्ता ण दु कत्तारं विणा ण भूदा।
अर्थ- (औदयिक, औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक) भाव (द्रव्य) कर्म के कारण (होता है) और (द्रव्य) कर्म (औदयिक, औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशमिक) भाव के कारण होता है, किन्तु उनमें (भाव और द्रव्यकर्मों में) निश्चय ही (कोई भी) कर्ता नहीं (है) किन्तु (यह मानना संगत होगा कि) (वे) (भाव और कर्म) कर्ता के बिना (भी) नहीं हुए हैं।
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम-प्राकृत-व्याकरणः 3-134) 'बिना' के योग में द्वितीया, तृतीया तथा पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
2.
(70)
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार