________________
58. कम्मेण विणा उदयं जीवस्स ण विज्जदे उवसमं वा।
खइयं खओवसमियं तम्हा भावं तु कम्मकदं।।
कम्मेण विणा उदयं
जीवस्स
नहीं
विज्जदे उवसमं
(कम्म) 3/1
(द्रव्य) कर्म के अव्यय
सिवाय (उदय) 2/177/1 उदय में
(औदयिक भाव में) (जीव) 4/1
जीव के लिए अव्यय (विज्ज) व 3/1 अक विद्यमान होता है (उवसम) 2/1+7/1 वि उपशम में
(औपशमिक भाव में) अव्यय
अथवा (खइय) 2/1-7/1 वि क्षायिक (भाव) में (खओवसमिय)2/177/1 वि क्षायोपशमिक (भाव)
वा
खइयं
खओवसमियं
तम्हा भावं
अव्यय (भाव) 1/1 अव्यय [(कम्म)-(कद) भूकृ 1/1 अनि ]
इसलिए भाव समूह निश्चय ही
कम्मकद
(द्रव्य) कर्म द्वारा उत्पन्न किये गये
अन्वय- कम्मेण विणा जीवस्स उदयं उवसमं खइयं वा खओवसमियं ण विज्जदे तम्हा भावं तु कम्मकदं।
अर्थ- (द्रव्य) कर्म के सिवाय जीव के लिये उदय में (औदयिक भाव में), उपशम में (औपशमिक भाव में), क्षायिक (भाव) में अथवा क्षायोपशमिक (भाव) में (अन्य कुछ भी) विद्यमान नहीं होता है। इसलिए (चारों) भाव समूह (द्रव्य) कर्म द्वारा निश्चय ही उत्पन्न किये गये (हैं)। 1. 'बिना' के योग में द्वितीया, तृतीया तथा पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है। 2. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है।
(हेम-प्राकृत-व्याकरणः 3-137) नोटः संपादक द्वारा अनूदित
(68)
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार