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54. एवं सदो विणासो असदो जीवस्स होइ उप्पादो।
इदि जिणवरेहि भणिदं अण्णोण्णविरुद्धमविरुद्धं।।
सदो विणासो
असदो
जीवस्स
उप्पादो
इदि
अव्यय
इस प्रकार (सदो) 6/1 वि अनि विद्यमान का (विणास) 1/1
नाश (असदो) 6/1 वि अनि अविद्यमान का (जीव) 6/1
जीव का (हो) व 3/1 अक होता है (उप्पाद) 1/1
उत्पाद अव्यय
इस प्रकार (जिणवर) 3/2 जिनेन्द्रों के द्वारा (भण) भूकृ 1/1
कहा गया [(अण्णोण्ण)-(विरुद्ध)+ (अविरुद्धं)] [(अण्णोण्ण) वि
परस्पर/आपस में . (विरुद्ध)-भूकृ 1/1 अनि] दिखाई देनेवाला विरोध अविरुद्धं (अविरुद्ध)भूकृ1/1 अनि अविरोध
जिणवरेहिं
भणिदं
अण्णोण्णविरुद्धमविरुद्धं
अन्वय- एवं सदो जीवस्स विणासो असदो उप्पादो होइ इदि जिणवरेहिं अण्णोण्णविरुद्धमविरुद्धं भणिदं।
अर्थ- इस प्रकार (पूर्व कथनानुसार) (कर्म सापेक्ष भावों के कारण) विद्यमान जीव (मनुष्यादिक पर्याय) का नाश और अविद्यमान (देवादिक जीव पर्याय) का उत्पाद होता है (जीव तो शाश्वत है)। इस प्रकार जिनेन्द्रों के द्वारा परस्पर/आपस में (दिखाई देनेवाला) विरोध (भी) अविरोध (ही) कहा गया (है)।
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पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार