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________________ 22. जीवा पुग्गलकाया आयासं अत्थिकाइया सा अमया जीवा पुग्गलकाया आयासं अत्थिकाइया सेसा । अमया अत्थित्तमया कारणभूदा हि लोगस्स ।। अत्थित्तमया कारणभूदा हि लोगस्स (जीव ) 1/2 ( पुग्गलकाय) 1/2 (32) (आयास) 1/1 ( अत्थिकाइय) 1/2 वि (सेस) 1/2 (अ-मय) 1/2 वि ( अत्थित्तमय) 1 / 2 वि [(कारण) - (भूद) भूकृ 1/2 अनि ] अव्यय (लोग) 6/1 जीव पुद्गलकाय आकाश अस्तिकायिक शेष (किसी से ) संरचित नहीं अस्तित्व से युक्त आधार बने हुए निश्चय ही लोक के अन्वय- जीवा पुग्गलकाया आयासं सेसा अत्थिकाइया अमया अत्थित्तमया हि लोगस्स कारणभूदा । अर्थ - जीव (द्रव्य), पुद्गलकाय (द्रव्य), आकाश (द्रव्य) (और) शेष (धर्म द्रव्य और अधर्म द्रव्य) अस्तिकायिक (बहुप्रदेश - सहित) ( हैं ) (ये) (किसी से) संरचित नहीं (है), अस्तित्व से युक्त ( हैं ) निश्चय ही लोक के आधार बने हुए हैं)। पंचास्तिकाय (खण्ड-1 ) द्रव्य - -अधिकार
SR No.002306
Book TitlePanchastikay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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