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13. दव्वेण विणा ण गुणा गुणेहिं दव्वं विणा ण संभवदि।
___ अव्वदिरित्तो भावो दव्वगुणाणं हवदि तम्हा॥
(दव्व) 3/1
द्रव्य के
दव्वेण विणा
अव्यय
बिना
गुणा
गुणेहि
गुणों के
द्रव्य
विणा
अव्यय (गुण) 1/2 (गुण) 3/2 (दव्व) 1/1 अव्यय अव्यय (संभव) व 3/1 अक (अव्वदिरित्त) 1/1 वि (भाव) 1/1 [(दव्व)-(गुण) 6/2] (हव) व 3/1 अक अव्यय
संभवदि अव्वदिरित्तो भावो दव्वगुणाणं हवदि
बिना नहीं संभव होता है अपृथक भाव द्रव्य और गुणों का होता है इसलिए
तम्हा
अन्वय- दव्वेण विणा गुणा ण गुणेहिं विणा दव्वं ण संभवदि तम्हा दव्वगुणाणं अव्वदिरित्तो भावो हवदि।
अर्थ- द्रव्य के बिना गुण नहीं (होते हैं) और गुणों के बिना द्रव्य संभव नहीं होता है। इसलिए द्रव्य और गुणों का अपृथक भाव होता है।
1.
'बिना' के योग में द्वितीया, तृतीया तथा पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार
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