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4.
जीवा पुग्गलकाया धम्माधम्मा तहेव आयासं ।
अत्थित्तम्हि य णियदा अणण्णमइया अणुमहंता ।।
जीवा
पुग्गलकाया
धम्माधम्मा
तहेव
आयासं
अत्थित्तम्हि
य
णियदा
अणण्णमइया
अणुमहंता
(14)
(जीव) 1 / 2
[ ( पुग्गल ) - (काय) 1/2 ]
[ ( धम्म) + (अधम्मा)]
[ ( धम्म ) - ( अधम्म) 1 / 2]
अव्यय
(आयास) 1/1
(अत्थित्त) 7/1
अव्यय
(forra) fa 1/2
(अणण्णमइय) 1/2 वि
[(अणु) अ- (महंत )
1/2 fa]
जीव
पुद्गल-समूह
धर्म, अधर्म
उसी प्रकार
आकाश
अस्तित्व में
और
ध्रुव
अपृथक/अभिन्न
बने हुए
अत्यधिक बड़े
अन्वय- जीवा पुग्गलकाया धम्माधम्मा तहेव आयासं अत्थित्तम्हि
अणण्णमइया णियदा य अणुमहंता ।
अर्थ - जीव, पुद्गल - समूह, धर्म, अधर्म उसी प्रकार आकाश अस्तित्व (सत्ता) में ( हैं ) अर्थात् सत् हैं। (वे) (सत्ता से ) अपृथक / अभिन्न बने हुए हैं, ध्रुव (हैं) और अत्यधिक बड़े (बहुप्रदेशी ) ( हैं ) ।
पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य - अधिकार