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111. कम्मादो अप्पाणं भिण्णं भावेइ विमलगुणणिलयं। __ मज्झत्थभावणाए वियडीकरणं ति विण्णेयं॥
कम्मादो अप्पाणं भिण्णं
भावेइ
विमलगुणणिलयं
मज्झत्थभावणाए
(कम्म) 5/1
कर्मों से (अप्पाण) 2/1
आत्मा (भिण्ण) 2/1 वि
भिन्न (भाव) व 3/1 सक गुणगान करता है [(विमल) वि-(गुण)- विमल गुणों के (णिलय) 2/1] निवास [(मज्झत्थ) वि- अंतरंग में स्थित (भावणाए) 3/1] (होकर) निष्ठापूर्वक तृतीयार्थक अव्यय [(वियडीकरणं)+ (इति)] वियडीकरणं (वियडीकरण) 1/1वियडीकरण इति (अ) =
शब्दस्वरूपद्योतक (विण्णेय) विधिकृ 1/1 अनि समझी जानी चाहिए .
वियडीकरणं ति
विण्णेयं
अन्वय-कम्मादो भिण्णं विमलगुणणिलयं अप्पाणं मज्झत्थभावणाए भावेई वियंडीकरणं ति विण्णेयं।
अर्थ- (जो) (साधु) कर्मों से भिन्न विमल गुणों के निवास (शुद्ध) आत्मा (निजात्मा) का अंतरंग में स्थित (होकर) निष्ठापूर्वक गुणगान करता है (वह गुण) वियडीकरण (प्रकटीकरण) (नामक) (आलोचना) समझी जानी
चाहिए।
नोट.
संपादक द्वारा अनूदित
नियमसार (खण्ड-2)
(49)