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94. पडिकमणणामधेये सुत्ते जह वण्णिदं पडिक्कमणं।
तह णच्चा जो भावइ तस्स तदा होदि पडिक्कमणं॥
प्रतिक्रमण नामक
सूत्र में
जह
जिस प्रकार वर्णित प्रतिक्रमण
उस प्रकार
पडिकमणणामधेये [(पडिकमण)-(णामधेय)
7/1 वि] सुत्ते -
(सुत्त) 7/1
अव्यय वण्णिदं (वण्ण) भूक 1/1 पडिक्कमणं (पडिक्कमण) 1/1 तह
अव्यय णच्चा (णच्चा) संकृ अनि
(ज) 1/1 सवि
(भाव) व 3/1 सक तस्स
(त) 6/1 सवि
अव्यय होदि
(हो) व 3/1 अक पडिक्कमणं (पडिक्कमण) 1/1
समझकर
भावइ
चिंतन करता है उसके
तदा
उस समय होता है प्रतिक्रमण
अन्वय- पडिकमणणामधेये सुत्ते जह पडिक्कमणं वण्णिदं तह णच्चा जो भावइ तस्स तदा पडिक्कमणं होदि।
अर्थ- प्रतिक्रमण नामक सूत्र में जिस प्रकार प्रतिक्रमण वर्णित (है) उस प्रकार समझकर जो (उसका) चिंतन करता है उसके उस समय प्रतिक्रमण होता है। (30)
नियमसार (खण्ड-2)