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64. एवं पोग्गलदव्वं जीवो तहलक्खणेण मूढमदी।
णिव्वाणमुवगदो वि य जीवत्तं पोग्गलो पत्तो॥
एवं पोग्गलदव्वं जीवो तहलक्खणेण
अव्यय
इस प्रकार [(पोग्गल)-(दव्व) 1/1] पुद्गलद्रव्य (जीव) 1/1
जीव [(तह) अ-(लक्खण) 3/1] उसी (रूपीपन के)
लक्षण से (मूढमदि) 8/1 हे मूढबुद्धि! [(णिव्वाणं)+(उवगदो)] णिव्वाणं (णिव्वाण) 2/1 निर्वाण को उवगदो' (उवगद) प्राप्त किया भूकृ 1/1 अनि
मूढमदी णिव्वाणमुवगदो
अव्यय
ही
4P क
और
जीवत्तं
पोग्गलो
अव्यय (जीवत्त) 2/1 (पोग्गल) 1/1 (पत्त) भूकृ.1/1 अनि
जीवत्व को पुद्गल प्राप्त हुआ
पत्तो
अन्वय- एवं मूढमदी तहलक्खणेण पोग्गलदव्वं जीवो य णिव्वाणमुवगदो पोग्गलो वि जीवत्तं पत्तो।
- अर्थ- इस प्रकार हे मूढबुद्धि! (पूर्व कथित) उसी (रूपीपन के) लक्षण से पुद्गलद्रव्य जीव (हुआ) और (उसने) निर्वाण को प्राप्त किया। (अतः) (इसका अर्थ होगा) (कि) पुद्गल ही जीवत्व को प्राप्त हुआ (है)।
1.
यहाँ भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कर्तृवाच्य' में किया गया है।
समयसार (खण्ड-1)
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