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53. जीवस्स णत्थि केई जोयट्ठाणा ण बंधठाणा वा।
णेव य उदयट्ठाणा ण मग्गणट्ठाणया केई।
जीवस्स
(जीव) 6/1
जीव के
अव्यय
णत्थि केई जोयट्ठाणा
अव्यय
[(जोय)-(ट्ठाण) 1/2] अव्यय [(बंध)-(ठाण) 1/2] अव्यय
नहीं है कोई योगस्थान नहीं बंधस्थान
बंधठाणा
अव्यय
न ही
अव्यय
और
उदयट्ठाणा
[(उदय)-(ट्ठाण) 1/2] अव्यय [(मग्गण)-(ट्ठाणय) 1/2] 'य' स्वार्थिक
उदयस्थान नहीं मार्गणास्थान
मग्गणट्ठाणया
केई
अव्यय
कोई
अन्वय- जीवस्स केई जोयट्ठाणा णत्थि बंधठाणा वा ण य णेव उदयट्ठाणा केई मग्गणट्ठाणया ण।
अर्थ- जीव के कोई योगस्थान नहीं है, बंधस्थान भी नहीं (है) और न ही उदयस्थान (है), कोई मार्गणास्थान (भी) नहीं (है)।
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समयसार (खण्ड-1)