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________________ 3. बहुव्वीहि (बहुव्रीहि), 4. अव्वईभाव (अव्ययीभाव)। जिन शब्दों का समास किया जाता है उन्हें अलग-अलग कर देने को विग्रह कहते हैं। 1. दंद समास (द्वन्द्व समास) दो या दो से अधिक संज्ञाएँ एक साथ रखी गई हों तो वह द्वन्द्व समास कहलाता है। जैसे - 'माता-पिता', 'सगा-सम्बन्धी'। ये दोनों उदाहरण द्वन्द्व समास के हैं। उसी प्रकार 'पुण्णपावाइं', 'जीवाजीवा', 'सुहदुक्खाई', 'सुरासुरा' आदि उदाहरण भी द्वन्द्व समास के हैं। दो या दो से अधिक संज्ञाओं को च (य) शब्द द्वारा जोड़ा गया हो, तो वह भी द्वन्द्व समास कहलाता है, जैसे - पुण्ण च पाव च पुण्णपावाई। जीव य अजीव य जीवाजीव। सुहु च दुक्खु च सुहदुक्खाई। रूवु य सोहग्गु य जोव्वणु य रूवसोहग्गजोव्वणाई। द्वन्द्व समास द्वारा बने शब्द अधिकतर बहुवचन में रखे जाते हैं। द्वन्द्व समास के विग्रह में य, अ अथवा च प्रयुक्त होता है। 2. 'तप्पुरिस समास (तत्पुरुष समास) . जिस समास का पूर्व पद अपनी-विभक्ति के सम्बन्ध से उत्तरपद के साथ मिला हुआ हो, वह तत्पुरुष समास कहलाता है। इस समास का पूर्व पद द्वितीया विभक्ति से लेकर सप्तमी विभक्ति तक होता है। पूर्व पद जिस विभक्ति का हो, उसी नाम से तत्पुरुष समास कहा जायेगा। बिइआ विभत्ति तप्पुरिस (द्वितीया तत्पुरुष), तइया विभत्ति तप्पुरिस (तृतीया अपभ्रंश व्याकरण : सन्धि-समास-कारक (13) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002301
Book TitleApbhramsa Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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