________________
शासन सम्राट: जीवन परिचय.
महाराजश्री की एक महत्व की प्रिय प्रवृति ६'री' पालक तीर्थयात्रा संघ निकालने की थी । उन दिनों में तीर्थयात्रा में अकेलेदुकेले जाना सरल न था । बहुत से स्थानों पर रेल्वे नहीं थी । चोर लूटेरों का भय रहता था । खाने पीने और रात्रि विश्राम व्यवस्था की चिंता रहती थी । संघ निकले तो सभी को लाभ मिलता है । साधारण स्थिति के लोग सरलता से जुड सकते थे । गांव-गांव में धर्म जागृति और धर्मभावना के काम होते थे 1 माकुभाई शेठ का गिरनार - सिद्धाचल की यात्रा संघ : ऐतिहासिक घटना :
महाराजश्री जब अहमदाबाद पधारे उससे पहले जावल जाकर माणेकलाल मनसुखभाई ( माकुभाई शेठ) ने गिरनार और सिद्धाचल का भव्य यात्रा संघ निकालने की अपनी भावना प्रकट की । उनके प्रस्ताव का महाराजश्री ने स्वीकार किया और महाराज श्री अहमदाबाद पधारे तो उसके लिए जोरशोर से तैयारी होने लगी ।
ऐसा कहा जाता है कि महाराजश्री की निश्रा में वि.सं. १९९१ में निकले इस यात्रासंघ जैसा यात्रासंघ अभी तक निकला न था । अहमदाबाद से गिरनार की यात्रा करने के पश्चात् सिद्धाचलजी. की यात्रा करनेवाले लगभग डेढ़ महिना चले इस संघ में १३ हजार से अधिक ६'री' पालक यात्रिक थे । २७५ मुनि भगवंत, ४०० से भी अधिक साध्वीजी महाराज, ८५० बैलगाडी, १३०० जितनी मोटर, बस, ट्रक इत्यादि अन्य वाहन उनमें थे । व्यवस्थापक गण, अन्य
७७