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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
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वि.सं. १८८३ का चातुर्मास महाराजश्री ने अहमदाबाद में पांजरापोल के उपाश्रय में किया । यह चातुर्मास चिरस्मरणीय रहा क्योंकि इस वर्ष अहमदाबाद में बरसात में इतनी बारिश हुई कि जैसे जल प्रलय न हो ! अतिवृष्टि जैसी स्थिति हो गई । महाराजश्री की अनुकंपादृष्टि भी इतनी ही सतेज थी । उन्होंने राहतकार्यों के लिए अहमदाबाद में श्रेष्ठियो से अनुरोध किया और देखते-देखते साढ़े तीन लाख रुपये का फंड एकत्रित हो गया । अनेक स्वयंसेवक तैयार हुए और संकटग्रस्त लोगों को अनाज कपडे तथा जीवनोपयोगी सामग्री बांटी गई । अनेक लोगों के दुःख कम हुए । लोक सेवा का एक महत्वपूर्ण कार्य हुआ । भोजनशाला, पांजरापोल की स्थापना :
महाराजश्री का प्रभाव ऐसा था कि प्रत्येक कार्य के लिए निर्धारित से अधिक धन आ जाता था । इस राहत कार्य के लिए बहुत धन आया और राहत कार्य पूर्ण होने पर बड़ी रकम बची । समयज्ञ महाराजश्री ने श्रेष्ठियों के समक्ष एक अन्य विचार रखा । अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में अकेले नोकरी करते श्रावको के लिए तथा प्रतिदिन बाहरगांव से काम प्रसंग में आनेवाले श्रावकों के लिए भोजन की व्यवस्था नहीं हैं । इसके लिए एक जैन भोजनशाला आवश्यक है । महाराजश्री के विचार फौरन कार्यान्वित हुआ और पांजरापोल में ही जैन-भोजनशाला स्थापित की गई ।