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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ४७ महाराजश्री पेटलाद से विहार कर कासोर गांव में पधारे । यहां एक श्रावक के छोटे बेटे को बार-बार उल्टी होती थी, कभी कभी यूंक में खुन आता था । बहुत उपचार करते हुए वह ठीक नहीं होता था । महाराज श्री गांव में पधारे और व्याख्यान शुरु हुआ उस समय वह श्रावक अपने बेटे को लेकर व्याख्यान में आकर बैठा । व्याख्यान के दौरान लडके को बहुत राहत हुई अतः व्याख्यान के बाद भी लडका उपाश्रय में महाराज श्री के पास बैठा रहा । इस तरह चार पांच घंटे में उसे यूंक में खून नहीं आया । अतः उन्होंने लडके से कहा "भाई थोडी देर बाहर जाओ हम गोचरी का उपयोग कर लें ।" लडका जैसे ही उपाश्रय से बाहर गया कि फौरन उसके थूक से खून आने लगा । गोचरी पूर्ण होने पर वह वापस उपाश्रय में आकर बैठा कि खून बंद हो गया । इस घटना की बात जानकर लडके के माता पिता को लगा कि अवश्य महाराज श्री के प्रभाव से ही इस प्रकार हुआ होगा । वे सब महाराज श्री के पास आए और संपूर्ण घटना बताई और लडके को ठीक कर देने की प्रार्थना की । . महाराज श्री ने कहा कि : "हम कोई डोरा-धागा या चमत्कार नहीं करते ।" बाद में लडके से कहा कि "तू नियमित भावपूर्वक नवकार मंत्र गिनना तेरा रोग मिट जाएगा ।" लडके ने इस प्रकार नियमित नवकार मंत्र गिनना प्रारंभ किया और जैसे चमत्कार हो गया हो वैसे उसका रोग हमेंशा के लिए चला गया ।
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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