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शासन सम्राट : जीवन परिचय:
कहीं पशु सुरक्षा गृह (पांजरापोल) की स्थापना के लिए या उसके निर्वाह के लिए आग्रह करते । महाराज श्री के व्याख्यानों का प्रभाव इतना था कि जैनेतर अमलदार भी उनकी वाणी सुनने आते थे ।
खेडा में महाराज श्री थे तब अहमदाबाद संघ के श्रेष्ठी प्रार्थना करने आए कि आगामी वि.सं. १९५६ का चातुर्मास अहमदाबाद में किया जाय । उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए महाराज श्री ने अहमदाबाद की ओर प्रयाण किया । पांजरापोल-निर्वाह : श्रुतज्ञान का प्रचार :
अहमदाबाद में प्रवेश कर महाराज श्री ने पांजरापोल के उपाश्रय में चातुर्मास किया इस चातुर्मास के दौरान उन्होंने पांजरापोल (पशु सुरक्षा गृह)के निर्वाह हेतु बहुत बड़ी रकम एकत्रित करवाई ।। तत्पश्चात महाराज श्री ने श्रावकों में श्रुतज्ञान का प्रचार हो इस हेतु से 'जैन तत्वविवेचक सभा' नाम की संस्था स्थापित करवाई ।
अहमदाबाद के चातुर्मास के दौरान पाटण के एक गरीब लडके को शेठ जेसिंगभाई के यहां नौकरी लगवाने के लिए एक भाई ले जा रहे थे । रास्ते में पांजरा पोल के उपाश्रय में वे महाराज श्री की वंदना करने गए । उस समय लडके ने शेठ के घर में रहने के बदले उपाश्रय में रहने का हठाग्रह किया । लडका बहुत तेजस्वी था । वह उपाश्रय में ही रह गया । किन्तु उसकी उम्र अभी छोटी थी और छोटे लडके को दीक्षा दिलाने की घटना से हंगामा हो सकता है । इससे उसकी नौ वर्ष की उम्र होने पर महाराज