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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. २३ करें जो प्रत्येक गांव में अपने आवास और भोजन की व्यवस्था कर महाराज के पास अभ्यास करें । ___ चातुर्मास पूर्ण होते ही शेठ श्री अमरचंदभाई ने सिद्धाचल का संघ ले जाने की भावना व्यक्त की । खंभात में पाठशाला के और अन्य कुछ काम अपूर्ण थे फिर भी महाराज श्री संघ में शामिल हुए । उनकी निश्रा के कारण बहुत बडा संघ निकला और लोगों की धर्मभावना में वृद्धि हुई । शेठ अमरचंदभाई को जीवन का अंतिम बडा कार्य करने का संतोष हुआ । खंभात में जीर्णोद्धार और प्रतिष्ठा : - खंभात के अपूर्ण कार्यों के लिए दूसरा चातुर्मास भी खंभात में करने का महाराजश्री को आग्रह किया गया । इस चातुर्मास के दौरान महाराज श्री की प्रेरणा से जीर्णोद्धार का एक महत्त्वपूर्ण कार्य ऐसा हुआ कि खंभात के भिन्न-भिन्न विस्तार में उन्नीस के करीब देरासर जीर्ण हो गए थे इतना ही नहीं श्रावकों की जनसंख्या भी वहां घट गई थी । देरासरों के निर्वाह की भी मुसीबत थी । इससे इन सभी देरासरों की प्रतिमा जीरावाला पाडा के देरासर का जीर्णोद्धार कर वहां पधारने का निर्णय लिया गया । शेठ अमरचंदभाई के पुत्र पोपटभाई ने इसकी समस्त जिम्मेदारी उठा ली । और तन, मन धन से बहुत भोग दिया । इसके पश्चात स्थंभन पार्श्वनाथ भगवान की नीलरत्न की सात इंच की ऐतिहासिक प्रतिमा वि.सं. १९५२ में चोरी हो गई
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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