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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. २१ उपस्थिति से ये बढ़ने की आशंका है और सबके देखते विहार करके जाएं तो भी तर्क-वितर्क होने की आशंका है अतः महाराज श्री ने उन्हें मुंह अंधेरे पालीताणा राज्य से बाहर भेज दिया और स्वयं वहां रुककर वातावरण शांत करवाया । पालीताणा से विहार करके महाराजश्री अहमदाबाद पधारे । दानविजयजी इससे पहले अहमदाबाद आ गए थे और पांजरापोल के उपाश्रय में बिराजे थे । उन्होंने उस समय तत्वार्थसूत्र पर व्याख्यान शुरु किए थे । उन्हें सुनने के लिए श्रावकों की संख्या बहुत बढी थी । तेजस्वी व्यक्तित्व था, शास्त्रज्ञ थे और अच्छे वक्ता थे । अतः उनकी वाणी का आकर्षण बहुतों को हुआ था । इतने में उनका स्वास्थ्य बिगडा, आराम के लिए शेठ हठीसिंह की वाडी में वे गए । उन्होंनें व्याख्यान की जिम्मेदारी महाराज श्री नेमिविजयजी को सौंपी । अहमदाबाद जैसा बडा नगर, पांजरा पोल का उपाश्रय, जानकार प्रतिष्ठित श्रोतावर्ग, उसमें भी महाराज श्री नेमिविजय जी का प्रथम बार पधारना । फिर भी उन्होंने तत्वार्थसूत्र पर इतने सुंदर व्याख्यान दिए कि महाराजश्री को चातुर्मास वहीं करने की आग्रहपूर्ण प्रार्थना की गई । उस समय शेठ मनसुखभाई भगुभाई, शेठ हठीसीह केसरीसिंह, शेठ लालभाइ दलपतभाई, शेठ धोलशाजी, शेठ मणिभाई प्रेमाभाई, शेठ पानाचंद हकमचंद, शेठ डाह्याभाई देवता इत्यादि प्रसिद्ध श्रेष्ठी महाराज श्री के व्याख्यान में आते थे । अहमदाबाद के वि.सं. १९५३ के चातुर्मास के बाद महाराज श्री विहार करके कपडवंज पधारे थे । उस समय खंभात से शेठ
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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