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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
दीक्षार्थी का गृह त्याग :
एक ओर लक्ष्मीचंदभाई ने नेमचंदभाई पर कठोर नियंत्रण 'लाद दिए थे तो दूसरी ओर नेमचंदभाई गृहत्याग का मौका ढूंढ रहे
थे । गांव में पितृविहीन एक किशोर दुर्लभजी को दीक्षा लेने की इच्छा थी । अतः नेमचंदभाई ने उससे मित्रता की । महुवा से भागकर भावनगर कैसे पहुंचे वे दोनों इसका उपाय ढूंढ रहे थे । उन दिनों नजदीक के स्थानों पर लोग चलकर जाते थे । दूर जाना हो तो गाडा (बहली), ऊंट, घोडा, इत्यादि का उपयोग करते थे । गांव में कोई जान न पाए इस तरह वे दोनों किशोर भागना चाहते थे । उन्हें भावनगर जल्दी पहुंचना था । अतः गांव की सीमा पर कब्रस्तानके पास रहनेवाले एक ऊंटवाले से भावनगर जानेकी व्यवस्था की । दूगना किराया लेने की शर्त पर ऊंटवाला आधीरात को जाने के लिए तैयार हुआ ।
रात के समय नेमचंदभाई बहाना बनाकर घर से निकल गए और दुर्लभजी के घर पहुंचे, और फिर दोनों ऊंटवाले के पास पहुंचे । ऊंटवाले ने तुरन्त निकलने से इन्कार कर दिया और कहा कि वह मुँहअंधेरे चार बजे निकलेगा । इन दोनों किशोरों के लिए चिंता का प्रश्न यह था कि इतना समय कहां व्यतीत करें ? पुनः घर जाने का कोई अर्थ नहीं है । अत:वे करीब के कब्रस्तान में सारी रात बैठे रहे । प्रातः चार बजे उन्होंने ऊंटवाले को उठाया । थोडी आनाकानी के बाद ऊंटवाला उन्हें लेजाने के लिए सहमत हो