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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. के मोनजीभाई जोशी नामक एक ब्राह्मण पंडित से संस्कृत का थोड़ा ज्ञान प्राप्त किया । इस प्रकार जैसे अभ्यास बढ़ता गया उनकी ज्ञानजिज्ञासा जागृत होने लगी । आगे अभ्यास : किशोर नेमचंद का गुजराती सात पुस्तक और अंग्रेजी तीन पुस्तक तक का अभ्यासपूर्ण होने पर पिताश्री लक्ष्मीचंदभाई ने विचार किया कि नेमचंदभाई को व्यापार रोजगार में लगाना चाहिए । महुवा में श्री करसन कमा की आढ़त चलती थी वहीं किशोर नेमचंदभाई को नोकरी मे लगवा दिया । नेमचंदभाई उस काम में भी प्रवीण होगए । किन्तु अभ्यास और प्रभुभक्ति में जितना आनंद आता था उससे कम आनंद व्यापार मे आता था । पन्द्रह वर्ष के किशोर नेमचंदभाई दृढ आत्मविश्वास वाले, बुद्धिशाली, विवेकी और विनम्र थे उनकी और अधिक पढने की लालसा देखकर लक्ष्मीचंद भाई ने विचार किया कि भावनगर में.पू. श्री वृद्धिचंदजीमहाराज विद्यार्थिओं को संस्कृत भाषासाहित्य और धार्मिक सूत्र पढाते हैं तो नेमचंदभाई को भावनगर भेजना चाहिए । उन्होंने पत्र लिखकर पू. श्री वृद्धिचंद्रजी महाराज की संमति प्राप्त की और साथ देखकर एक शुभदिन नेमचंदभाई को विद्याभ्यास के लिए भावनगर भेजा । किशोर नेमचंदभाई पिता की आज्ञा लेकर पू. श्री वृद्धिचंद्रजी महाराज से संस्कृतभाषा और धार्मिक अभ्यास करने के लिए भावनगर आ पहुंचे । भावनगर के उपाश्रय में आकर उन्होंने अपने आगमन
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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