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________________ 13 सौ. डिंपल राजेश भाई सुतरीया, संसारी बहन सौ. मीना हेमलकुमारजी डगली, सौ. हंसाबेन विजयकुमारजी उदाणी तथा सौ. चारुबेन चेतनभाई दोशी इनका भी सहयोग रहा इसलिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करती हूँ। .. इस शोधकार्य में विशेष सहयोग देनेवाले सेवाव्रती कॉन्फरन्स के युवा अध्यक्ष श्री. विजयकांतजी कोठारी, सेवाभावी सुश्रावकजी श्री नेमिचंद्रजी कटारिया, सेवानिष्ठ सुश्रावकजी माणकचंदजी कटारिया और अतिउत्साही जितेन्द्रकुमारजी चोरडिया उनका भी मैं आभार मानती हूँ। हमेशा सभी प्रकार का सहयोग देने वाली सुश्राविका सौ. चंदनवेन डॉ. धीरेन्द्र भाई गोसलिया का आभार व्यक्त करती हूँ। __पूना निवासी डॉ. सौ. शारदाबाई, डॉ. सतीशजी जैन जिन्होंने भी सहयोग दिया है इसलिए उनको भी मैं धन्यवाद देती हूँ। ज्ञानमूर्ति सौ सज्जनबाई कान्तिलालजी बोथरा, सौ. चंचलदेवी शशिकांत कोठारी तथा सौ. राजश्रीबहन पारख का भी आभार मानती हूँ। . सेवाभावी महेशभाई भोगीभाई दोशी ने इस प्रबंध कार्य में पूर्ण सहायता की है इसलिए मैं आभारी हूँ, पूना में आदिनाथ श्रीसंघ तथा महावीर प्रतिष्ठान श्रीसंघ का भी मैं आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने सहृदयता और भक्तिभाव से अध्ययन के लिए अपेक्षित सामग्री मिलाकर और अध्ययन के लिए सारी सुविधाएँ देकर मुझे सहयोग दिया। कु. लीना सुगनचंदजी बंब का भी मैं आभार मानती हूँ।
SR No.002299
Book TitleJain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktisheelashreeji
PublisherSanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag
Publication Year2009
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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