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________________ 209 ३) शरीर के पांच भेद १) औदारिकशरीर, २) वैक्रियकशरीर, ३) आहारकशरीर, ४) तैजसशरीर, ५) कार्मणशरीर। ४) शरीर अंगोपांग के तीन भेद १) औदारिकशरीर अंगोपांग, २) वैक्रिय अंगोपांग, ३) आहारक शरीर अंगोपांग। ५) शरीर बंधन नाम के पांच भेद १) औदारिकशरीर बंधन, २) वैक्रियकशरीर बंधन, ३) आहारकशरीर बंधन, ४) तैजस् शरीर बंधन, ५) कार्मणशरीर बंधन ६) शरीर संघात करण नाम के पांच भेद १) औदारिक शरीर संघात करण, २) वैक्रियक शरीर संघात करण, ३) आहारक शरीर संघात करण, ४) तैजस शरीर संघात करण, ५) कार्मण शरीर संघात करण। ७) संघयण नाम के छः भेद १) वज्रऋषभनाराच संघयण, २) ऋषभनाराच संघयण, ३) नाराच संघयण, ४) अर्धनाराच संघयण, ५) कीलिका संघयण, ६) सेवा संघयण। .८) संस्थान नाम के छः भेद १) समचतुरस्त्र संस्थान, २) न्यग्रोध परिमंडल संस्थान, ३) सादिक संस्थान, ४) कुब्ज संस्थान, ५) वामन संस्थान, ६) हुंडक संस्थान ९) वर्ण नाम के पांच भेद १) कृष्ण, २) नील, ३) रक्त, ४) पीत, ५) श्वेत१६८ १०) गंध के दो भेद १) सुरभिगंध, २) दुरभिगंध ११) रस के पांच भेद १) तीखा, २) कडूवा, ३) कसैला, ४) खट्टा, ५) मीठा १२) स्पर्श के आठ भेद १) लघु - हल्का, २) गुरु - भारी, ३) कर्कश - कठोर, ४) कोमल - मृदु, ५) शीत - ठंडा, ६) उष्ण - गरम, ७) रूक्ष - रूखा, ८) स्निग्ध - चिकना
SR No.002299
Book TitleJain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktisheelashreeji
PublisherSanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag
Publication Year2009
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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