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१७१ १७१ १७२ १७४ १७५ १७७ १७८ १७८ १७९ १७९
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चतुर्थ प्रकरण
कर्म का विराट स्वरूप कर्मबंध की व्यवस्था अष्टकर्मों का क्रम कर्म के मुख्य दो विभाग कर्मों के लक्षण ज्ञानावरणीय कर्म का निरूपण ज्ञानावरणीय कर्म का अनुभाव फल भोग ज्ञानावरणीय कर्म की उत्तर प्रकृतियाँ मतिज्ञानावरणीय कर्म मतिज्ञानावस्णीय कर्म बंध के कारण और निवारण श्रुतज्ञानावरणीय कर्म श्रुतज्ञानावरणीय कर्मबंध के कारण और निवारण अवधिज्ञानावरणीय कर्म मन:पर्यायज्ञान की विशेषता केवलज्ञान ज्ञानावरणीय कर्म का प्रभाव दर्शनावरणीय कर्म का निरूपण दर्शनावरणीय कर्म छः प्रकार से बांधे दर्शनावरणीय कर्म का प्रभाव वेदनीय कर्म का निरूपण वेदनीय कर्म का विस्तार असातावेदनीय कर्म का फलानुभाव सातावेदनीय कर्म दश प्रकार से बांधे असातावेदनीय कर्म बारह प्रकार से बांधे साता-असातावेदनीय कर्म का प्रभाव मोहनीय कर्म का निरूपण मोहनीय कर्म का विस्तार चारित्रमोहनीय कर्म का स्वरूप दर्शनमोहनीय कर्म की तीन प्रकृतियाँ चारित्रमोहनीय कर्म के दो भेद
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१८९ १९० १९० १९१ १९३ १९३ १९४ १९४