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________________ १३८) बोधिचर्यावतार - ३ /१२, १३ . १३९) प्रवृत्तिप्रतिकूलतया आ - मर्यादया ख्यानं - प्रत्याख्यानम् - योगशास्त्रवृत्ति १४०) अविरति स्वरुप प्रभृति प्रतिकूलतया आ-मर्यादया .... कथनं प्रत्याख्यानम् ।। प्रवचन सारोद्धार वृत्ति १४१) उत्तराध्ययनसूत्र : (सं. मधुकर मुनि) अ.९,गाथा ४८ १४२) तत्तो चरितधम्मो, कम्मविवेगो तओ अपूव्वं तु... मुक्खो सयासुक्खो । आवश्यक नियुक्ति १५९६ १४३) आणागतं १ अतिक्तरं कोडिसहितं.. चेव अद्वाए १०, पच्चखाणं भवे दसहा । भगवती सूत्र ७/२, गा. १, पृ. १२७ १४४ क) अणागयमातिकतं..... पच्चखाणं दसविहंतुं स्थानाङ्ग सूत्र - दशकस्थान - प्रथम उद्देशक - सू. ४६, पृ. ७८७, ७८८ ख) स्थानावृत्ति पत्र - ४७२, ४७३ १४५) आवश्यक नियुक्ति - अ. ६ १४६) मूलाचार : (आ. वट्टेकर) पूर्वार्ध - षड़ावश्यक अधिकार - गा. १४०, १४१ १४७) आवश्यक नियुक्ति - ८८५ १४८) एवं खलु से दुप्पच्चक्खाइ सव्वपाणेहिं... मोसं भासं भासइ ॥ भगवती सूत्र - ८/२ १४९) जाणगो जाणगसगासे, अजाणगो ... सगासे, अजाणगो ॥ प्रवचन सारोद्धार वृत्ति १५०) योगशास्त्र : (ले. हेमचंद्राचार्य) पृ. १५३ १५१) उत्तराध्यन सूत्र : (सं.मधुकर मुनि) अ.२९- गा. ३३ १५२) उत्तराध्ययन सूत्र :(सं. मधुकर मुनि) अ. २९/३४ १५३) उत्तराध्ययन सूत्र : (सं. मधुकर मुनि) अ. २९/३५ १५४) उत्तराध्ययन सूत्र : (सं. मधुकर मुनि) अ. २९/३७ १५५) उत्तराध्ययन सूत्र : (सं. मधुकर मुनि) अ. २९/४१ १५६) उत्तराध्ययन सूत्र : (सं. मधुकर मुनि) अ.२९/३८ (३०५)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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