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________________ ६८) गीता - २/५ ६९) गीता - १८ / ५४ ७०) श्रमण सूत्र : (उपाध्याय - अमरमुनि) पृ. ६९ ७१) प्रतिक्रमण सूत्र लोगस्स सूत्र : (महासतीजी डॉ. धर्मशीलाजी महाराज) पृ. १०-१५ ७२) बृहद् वृत्ति - पत्र ५८१ गीता - १८/६६ ७४) सूत्रकृतांग सूत्र : (युवाचार्य मधुकर मुनि) १ / १६ ७५) क) मज्झिमनिकाय ३ / ४४ ख) इतिवृत्तक ३ / ४३ ७६) श्रीमद् भगवद्गीता - १७/३ ७७) श्री उत्तराध्ययनसूत्र : (युवाचार्य मधुकर मुनि) अ. २९, सू. २४, पृ. ४९४ ७८) बृहद् वृत्ति, पत्र ५८१ ७९) पासत्थाई वंदमाणस्स नेव ... तह कम्मबंधं च ॥ आवश्यक नियुक्ति : (आ. भद्रबाहु) गा. ११०८ जे बंभ चेरभट्टा पाए ... सुदुल्लहा तेसि । आवश्यक नियुक्ति : (आ. भद्रबाहु) गाथा ११०९ धम्मपद १०८ ८२) धम्मपद १०९ ८३) मनुस्मृति २ /१२१ ८४) श्रीमद् भागवत् पुराण ७/५/२३ ८५) श्रीमद् भगवद् गीता - १८ / ६५ ८६) क) आवश्यक नियुक्ति - १२०७ -१२०७-१२११ ख) प्रवचनसारोद्धार - वंदनाद्वार ८७) वन्दणएणं भंते ! जीवे किं जणयई ? वन्दणएणं नीचगोयं .. णं जणयई । उत्तराध्ययन सूत्र : (सं. मधुकर मुनि) अ. २९, सू. ११, पृ. ४९४ (३०१)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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