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तृतीय प्रकरण नवकार मंत्र का विशेष विश्लेषण और विश्वमैत्री
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नाम १९६) नवकार महामंत्र और विश्वमैत्री १९७) नवकार के आराधक अधिकारी १९८) नवकार मंत्र और शुभोपयोगई - शुद्धोपयोग १९९) सिद्ध साधक के भेद और साधन-तीनों का नवपद में संगम २००) उपयोग के भेद २०१) साधक को कैसा उपयोग रखना चाहिए २०२) मनिषीयों और ज्ञानियोंका उपयोग के प्रती आदर २०३) षडावश्यक और नवकार मंत्र २०४) सामायिक २०५) सम्यक सामायिक २०६) श्रुत सामायिक २०७) चरित्र सामायिक २०८) बौद्ध और वैदिक धर्म की साधना पद्धति २०९) चतुर्विंशतिस्तव २१०) वंदना २११) प्रतिक्रमण २१२) बौद्ध धर्म में प्रवारणा २१३) कायोत्सर्ग २१४) प्रत्याख्यान २१५) नवकार मंत्र के चार भावनाओं का समन्वय २१६) चार भावनामें क्रम व्यवस्था २१७) मैत्री आदि चारों भावनाओं का संक्षेप में निरुपण २१८) मैत्री भावना
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