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________________ २८. सिक्खु सुणइ सदगुरु भणइ, परमानंद - सहाउ । २९. इंदिय ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५. ३६. 18 ३७. परम जोइ तसु उल्लसइ, आणंदा रे करइ जु णिम्मलु भाउ || गय-कुंभ - थलि जेम दिदु, केसरि करइ पहारु । परम- समाहि म भुल्लहि, आणंदा रे रहियउ णिरहंकारु । समरस भावे रंगियउ, अप्पा देक्खइ सोइ । अप्पर जाहि अणुहवइ आणंदा रे करइ णिरालंबु होइ ॥ पुव्वकिय कम्म णिज्जरइ, णवा ण होणहं देइ । अप्पा तासु ण रंगियइ, आणंदा रे केवलणाणु हवेइ ॥ देव बजावहिं दुंदुहिं, थुणइ जो बंभु मुरारि । इंदु फणिंदु वि चक्कवइ, आणंदा रे केवल णाणुवि उपज्जं ॥ केवलणाणु वि उप्पजइ, सदगुरु वचन पसाइ । जगु सचराचरु सो मुणइ, आणंदा रे रहिउ ज सहज सुभाइ ॥ सदगुरु तूठइ पावयइ, मुति - तिया - घर - वासु । सो गुरु णितु णितु झाइयइ, आणंदा रे जा लइ हिये उसासु ॥ गुरु जिणवरु गुरु सिद्ध सिउ, गुरु-रयण-त्तय - सारु । सो दरिसावइ अप्पु परु, आणंदा रे भव जल पावहि पारु ।। पाहण पूजि म सिरु धणहु, तीरथ काई भमेहु । देव सचेयणु सच्चु गुरु, आणंदा रे जो दरिसावइ भेह ||
SR No.002292
Book TitleAnanda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Pritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages28
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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