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________________ संज्ञा अनादि काल से आत्मा को सता रही है। उसे जीतने के लिये तप का साधन ही अति उत्तम है। . __ दूध, दही, घो, तेल, गुड़ और कड़ाविगई इन छह विगई के त्यागरूप नव दिन की महामंगलकारी प्रायम्बिल की तपश्चर्या रसना-जीभ को जीतने के लिये उत्तम उपाय है। साथ में श्रीसिद्धचक्र भगवन्त के नवपद की विधिपूर्वक आराधना भी अत्युत्तम है। बाह्य और अभ्यन्तर जीवन की विशुद्धि में निमित्तभूत, अनेक हेतुओं से युक्त श्रीसिद्धचक्र भगवन्त की आराधना प्रतिवर्ष आश्विन और चैत्र मास में धर्मी जीवों द्वारा प्रत्येक नगर-शहर-ग्राम आदि में नौ दिन पर्यन्त की जाती है । नव संख्या की विशिष्टता ___ एक से दस अंकों में नवें (8) अंक की विशिष्टता अद्भुत है । केवल नव का अंक ही ऐसा अंक है जो सदा अखंडित रहता है । चाहे इसकी कितनी ही जोड़-बाकी या गुणाकार आदि करें तो भी यह अंक अखंडित ही रहता हैजैसे ९x१=६ ६x२ १८, १+८=६ Ex३=२७, २+७=& ६x४=३६, ३+६=8 X X X X श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-८
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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