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* पौष (मागशर) वद १३ गुरुवार दिनांक २०-१२-८४ को त्रिस्तुति वाले विद्वान्-प्रवक्ता पूज्य आचार्य श्री जयन्तसेनसूरिजी म० सा० आदि सुस्वागत पूर्वक तखतगढ़ में प्रवेश कर परमपूज्य आचार्यदेव गुरु महाराज सा० के पास पधारे। दोनों आचार्य म० आदि का सुभग सम्मिलन हुआ। त्रिस्तुति के उपाश्रय में भी दोनों आचार्य भगवन्त प्रादि सुस्वागत पूर्वक पधारे। वहाँ दोनों के मंगल प्रवचन के पश्चात् प्रभावना हुई। श्रीसंघ के प्रानन्द में अभिवृद्धि हुई।
पौष सुद ५ गुरुवार दिनांक २७-१२-८४ को श्री आदीश्वर जिनमन्दिर में अठारह अभिषेक का कार्यक्रम रहा। श्री अन्तराय कर्म की पूजा श्रीसंघ की ओर से पढ़ाई गई।
(३) दशाह्निका महोत्सव
महा सुद २ बुधवार दिनांक २३-१-८५ को श्री उपधान तप की माला के प्रसंग पर उपधान कराने वाले संघवी श्री ओटरमलजी भूताजी की तरफ से पांच छोड़ का उद्यापन (उजमरणां), श्री सिद्धचक्क महापूजन तथा श्रीऋषिमंडल महापूजन यूक्त श्री जिनेन्द्र भक्ति रूप दशाह्निका महोत्सव प्रारम्भ हुआ। प्रतिदिन व्याख्यान, पूजाप्रभावना-प्रांगी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा।
* महा सुद ५ (वसंत पंचमी) शनिवार दिनांक २६-१-८५ को 'श्रीसिद्धचक्र महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाया गया ।
* महा सुद ८ मंगलवार दिनांक २६-१-८५ को 'श्रीऋषिमंडल महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाया गया ।
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